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Ancient Jain bas relief sculptures of Puthurmalai



पुथुरमलई :- पुथुरमलई तमिलनाडु राज्य के मदुरै जिले में उसिलामपट्टी के निकट स्थित है। पुथुरमलई उसिलामपट्टी नगरपालिका से लगभग 7 किलोमीटर दक्षिण पूर्व दिशा एक पहाड़ी पर स्थित है। यह स्थान मदुरै नगर से लगभग 40 किलोमीटर पश्चिम दिशा में स्थित है।

यह स्थान प्राचीन हज़ारों वर्ष प्राचीन शैल चित्रों , ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित प्राकृतिक गुफाओं और उत्कीर्ण जैन प्रतिमाओं के लिए जाना जाता है। यह स्थान प्राचीन शताब्दियों से ही जैन धर्म का केंद्र रहा है।

यहाँ एक प्राकृतिक गुफा में चार तीर्थंकर प्रतिमाएं है जिनमें से तीन प्रतिमाएं पद्मासन अवस्था में ध्यानरत है जबकि एक प्रतिमा कायोत्सर्ग अवस्था में ध्यान रत है। पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस गुफा तक पहुँचने का मार्ग सुगम और सरल नहीं है यह मार्ग कंटीली झाड़ियों से भरपूर है। तीन पद्मासन तीर्थंकर प्रतिमाओं में मूलनायक प्रतिमा तीर्थंकर पार्श्वनाथ की प्रतिमा है जिसके मस्तक पर स्थित नाग छत्र से इन्हे आसानी से पहचाना जा सकता है। इस मूलनायक प्रतिमा के दोनों और दो ध्यानरत पद्मासन प्रतिमाएं विराजमान है। इन तीर्थंकरों की पहचान लांछन के आभाव में नहीं की जा सकी है। सबसे दांये भाग में स्थित कायोत्सर्ग प्रतिमा की पहचान भी नहीं की जा सकती है। इन सभी तीर्थंकर प्रतिमाओं के मस्तक के ऊपर तीन छत्रों का निरूपण किया गया है जो इन प्रतिमाओं के जैन धर्म से सम्बंधित होने का पुष्ठ प्रमाण है।

इन प्रतिमाओं के सन्दर्भ में एक अजीब बात यह है कि इन प्रतिमाओं के भौहों और मूछों का निरूपण किया गया है। अगर इसकी गहराई में जाए तो एक तथ्य का पता लगता है की इन प्रतिमाओं का स्वरुप हिन्दू धर्मावलम्बियों ने बदल दिया है और वे इन प्रतिमाओं को ब्रह्मा , विष्णु और शिव के रूप में पूजते है। हिन्दू धर्मावलम्बी इन प्रतिमाओं को दीपक और सिन्दूर से श्रद्धापूर्वक पूजते है।

चित्र :- केसवन मुथुवेल

Puthurmalai:- The place Puthurmalai is situated near Usilampatti in Madurai district of Tamilnadu state. The place is situated about 7 Kilometers from Usilampatti municipality in South East direction and about 40 Kilometers from Madurai district headquarter in west direction.

The place is renowned for ancient Jain bas relief sculptures as well as some thousands years old rock paintings in natural caverns of granite. The place had been center of Jainism since ancient centuries.

There are four Jina figures in a natural cavern on the top of the hill. The place has not a proper way to reach the cave containing Jina bas relief sculptures.

There are four Jina images which are in Padmasana and Kayotsarga posture. Principal deity is of Lord Parshwanatha and He is flanked by two Unknown Jinas depicted in Padmasana posture. Parshwanatha Jina has serpent hood over his head and coil of serpent is visible behind her back side. The left most Jina sculpture is in Kayotsarga posture.

All the Jina saviors contain triple canopy over their head which affirms these images to be affiliated with Jaina creed.

The weird thing about these sculptures is that they contain Mustaches and eyebrows on their faces which are not according to Jain customs and canons.

If we dig into matter then we find truth that these sculptures were being converted as Hindu trinity Brahma, Vishnu and Shiva after addition of Eyebrows and Mustaches on faces. These sculptures are revered sacred among non Jain laity and they offer them vermilion and candles to worship.

Photo courtesy: - Kesvan Muthuvel

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