मराठवाड़ा क्षेत्र के जैन मंदिरों के बारे में आम जैन श्रावकों को काफी न्यून जानकारी है जबकि यह मंदिर राजवंशों जैसे राष्ट्रकूट , कल्याण चालुक्य और यादव शासकों के संरक्षण के फलस्वरूप जैन धर्म के इस क्षेत्र में प्रचलन और प्राचीनता का प्रमाण है। मराठवाड़ा क्षेत्र में महाराष्ट्र प्रान्त के बीड, लातूर, उस्मानाबाद, परभणी , झालना ,नांदेड और हिंगोली जिले आते है। आज हम मराठवाड़ा क्षेत्र के एक ऐसे तीर्थ क्षेत्र के बारे में जानकारी देंगे जो कि प्राचीन विरासत है परन्तु जैन धर्मवलम्बियों की अनुपलब्धता,दान और देखभाल की कमी से जूझ रहा है। यहाँ पर एक मात्र जैन परिवार है जो कि श्रावक और पुजारी के सारे कर्तव्य निभा रहा है। शेलगाँव महाविष्णु :- शेलगाँव महाविष्णु नामक क़स्बा महाराष्ट्र राज्य के मराठवाड़ा क्षेत्र में परभणी जिले के अंतर्गत आता है। यह स्थान परभणी जिला मुख्यालय से लगभग ४५ किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पश्चिम दिशा में और बीड जिला मुख्यालय से लगभग 95 किलोमीटर की दुरी पर पूर्व दिशा में विद्यमान है। यह क़स्बा गंगाखेर तहसील अंतर्गत आता है। चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर :- चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर शेलगाँव कस्बे के मध्य तंग गलियों में अवस्थित है और इस मंदिर से कुछ ही दूरी पर प्रसिद्ध महाविष्णु हिन्दू मंदिर स्थित है। यह जैन मंदिर ना ही एक आकर्षक स्मारक है और न ही कला का उत्कृष्ट नमूना बल्कि यह मंदिर एक आम घर जैसा ही प्रतीत होता है। इस जैन मंदिर के पास ही कुछ दूरी पर जैन मंदिर के पुजारी का परिवार निवास करता है। इस मंदिर का प्रवेश द्वार काफी छोटा है देखने में एक आम घर के प्रवेश द्वार जैसा ही प्रतीत होता है। इस मंदिर के प्रवेश द्वार के दाई तरफ एक प्राचीन मानस्तम्भ का हिस्सा रखा हुआ है जिस पर जिन प्रतिमाओं का अंकन है। यह प्रतिमा कायोत्सर्ग मुद्रा में ध्यानरत है जबकि यह अंकन काफी हद तक मिट चुका है। यह मानस्तम्भ का हिस्सा लगभग 2 से 2.5 फ़ीट ऊँचा है और इसका बाकी का हिस्सा जैन मंदिर में सुरक्षित है। जैसे ही हम मंदिर में प्रवेश करते है हमे एक सौम्य,आकर्षक,पवित्र और शांत प्रतिमा के दर्शन होते है जो की जैन धर्म के 23 वे तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा है। यह प्रतिमा लगभग 3 से 3.5 फ़ीट की ऊंचाई की काले आग्नेय पाषाण से निर्मित है। यह पार्श्वनाथ भगवन की प्रतिमा काफी प्राचीन प्रतीत होती है जो कि सम्भवतः 12 वी शताब्दी से सम्बंधित है। भगवान पार्श्वनाथ यहाँ इस जैन मंदिर के मूलनायक भगवान है जिनके नाम से ही इस जैन तीर्थ क्षेत्र का नाम चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन अतिशय क्षेत्र रखा गया है। भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा अन्य धातु की प्रतिमाओं के साथ मुख्य वेदी पर विराजमान है। इस मुख्य वेदी के दोनों ओर दो आलों में भगवान तीर्थंकर की प्रतिमाएं और पंचमेरु की प्रतिमाएं विराजमान है। एक आले में जैन प्रतिमा से अलग हुआ तीर्थंकर प्रतिमा युक्त तोरण का हिस्सा विराजमान है। इस जैन मंदिर के दरवाजे के पास में स्थित यक्षिणी पद्मावती की प्रतिमा विद्यमान है। इस मंदिर में एक तलघर भी विद्यमान है जिसका द्वार मुख्य मंदिर में से ही है। संभवतः यह तलघर मध्यकालीन युग में विधर्मी आक्रमणकारियों से जैन प्रतिमाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। इस तलघर में भी स्थित वेदी में तीन तीर्थंकर प्रतिमाएं पद्मासन अवस्था में विराजमान है। इस तलघर में भी एक यक्षिणी प्रतिमा विराजमान है। इस मंदिर के द्धितीय तल पर एक नयी वेदी का निर्माण हुआ है जिसमे भी तीन तीर्थंकर प्रतिमाएं विराजमान है। यह प्रतिमाएँ पद्मासन अवस्था में विराजमान है और महावीर, पार्श्वनाथ और नेमिनाथ तीर्थंकर की है। शेलगाँव महाविष्णु का इतिहास :- इस कस्बे का नाम यहाँ स्थित प्रसिद्द हिन्दू मंदिर महाविष्णु के नाम पर पड़ा है। यह महाविष्णु नाम विष्णु को समर्पित है जो कि विष्णु के मोहिनी और भस्मासुर कथानक को याद दिलाता है। यहाँ जैन मंदिर में स्थित पार्श्वनाथ प्रतिमा,मानस्तम्भ के हिस्से और यक्षिणी प्रतिमाएं इस कस्बे में जैन धर्म की प्राचीन उपस्थिति का प्रमाण है और संभवतः ये अवशेष लगभग 12 वि शताब्दी से सम्बंधित है जब यह क्षेत्र कल्याण चालुक्य या यादव शासकों के राज्य अंतर्गत आता था। हिन्दू महाविष्णु मंदिर भी 12 वि शताब्दी ईस्वी से सम्बंधित है। Jain temples of Marathwada region are very less renowned to common Jain laymen but in fact these temples are attestation of antiquity of Jainism and prevalence of non violent creed in Marathwada region under patronization of several imperial dynasties like Rashtrkoota, Later Chalukya and Yadavas.Marathawada region consists of Beed, Latur, Osmanabaad,Parbhani,Nanded, and Jhalana districts. Today we are illustrating a Jain pilgrimage center which is not only ancient but facing lack of attention, care and donation from Jain community. There is only a single Jain family which has been performing priest as well as laymen duty. Shelgaon Mahavishnu :- Shelgaon Mahavishnu town is situated in Gangakher tehsil of Parbhani district of Maharashtra state. This place is situated about 90 Kilometers apart from Beed district headquarter in east direction where 45 Kilometers apart from Parbhani district headquarter in south west direction. Chintamni Parshwanath Jain temple:- The Chintamani Parshwanath Jain temple is situated in narrow passages of Shelgaon Mahavishnu town. The Jain temple is neither a grand structure nor an artistic monument. It has a house type structure and priest family is living at nearby place. The temple has a small entrance which resembles as an ordinary house entrance. On the right hand side of shrine entrance; an ancient Jain pillar is standing of about 2 to 2.5 feet height which have carving of Jina in kayotsarga posture. Although the Jina figure depicted on the pillar is literally obliterated. The pillar seems a part of ancient Maanstambh whose other part is preserved in the same temple. As we enter the temple we find a mesmeric, serene and benign faced Kayotsarga Jain Teerthankar sculpture of 23rd Lord Parshwanatha. The image of Lord Parshwantha is considerably ancient perhaps from 12th century AD, sculpted in black basalt stone which has about 3 to 3.5 feet height. Lord Parshwantha is principal deity and paramount of this temple which is reckoned as Chintamani Parshwanatha. On the name of the paramount lord; the shrine got its name as Shri Chintamani Parshwanatha Atishay kshetra. The image of Parshwanatha is installed on main vedi along with some bronze Jina sculptures of Jinas. There are one niche on both sides of main vedi which contain Jina teerthankar sculpture, Panchmerus and a panel of ancient sculpture’s toran. A yakshini sculpture perhaps of goddess Padamawati is also installed besides the entrance in the shrine. The temple has also a basement which is also accessible from the main temple. Perhaps basement is an ancient structure and constructed for protection of Jina sculptures from invaders in medieval period of History. The basement consists of a vedi which has three Jina sculptures in Padmasana meditation posture.A new vedi is constructed on the second floor of the temple which contains three Padmasana Jina sculptures of Mahaveera, Parshwanatha and Neminatha. History of Shelgaon Mahavishnu :- The town got its name after the temple of Lord Vishnu which is famous here as Mahavishnu commemorate the Mohini – Bhasmasur episode. The Jain sculpture of Parshwanatha, Yakshinis and relics of Maanstambh prove antiquity of this place. It seems that these ancient Jain relics along with Jina Parshwa image should be hailed from 12th century AD from Yadavas or Later Chalukya era. The hindu temple of Mahavishnu is also hailed from this time span. |
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